गुरु भगवान् से भी बड़ा है
धर्म की अति ग्लानि के
समय, अवतरित हुए शिव परमात्मा, कहते है कि, मेरा यह सन्देश, सभी को दो, मैं कहता हु,
देते तो है, पर इस रावण राज्य में, सुनता कौन है ? यहाँ विभीषण जैसे, सदमार्ग बताने
वालो को, लात मार कर, बाहर कर दिया जाता है, जैसे रावण, साधु वेष धर लेता था, ठीक वैसे
ही, अपने को लंकेश्वर तो नहीं कहते, जगतगुरु, शंकराचार्य और महामंडलेश्वर कहते है,
श्री, श्री, एक सौ आठ, एक हजार आठ, परम पुज्य कहते है, कई तो इनसे भी आगे बढ़कर, यह
कहते है कि, गुरु तो भगवान् से भी बड़ा है !
ऐसे में आप ही बताओ भोले
बाबा, यहाँ आपका सन्देश, सुनेगा कौन, मानेगा कौन ? हाँ ! जब आप, बम, बम करेंगे, आपकी
प्रकृति, तांडव नृत्य करेगी, महासुनामी लाएगी, तब कुम्भकर्णी नींद में सोया, ये अहंकारी
मानव जागेगा, तब इसे, अपनी गलती का, अहसास होगा !
अब समय आ गया है भोले
बाबा, इन्हे इनकी गलती का, अहसास करा ही दो, इन्हे इनकी जगह बता ही दो, क्योकि इन्होने,
भोले मानस को, बहुत छला है, बहुत ठगा है, इनकी भावनाओ से, बहुत खिलवाड़ किया है, बहुत
कुछ किया है, इन्हे भी, इनसे मुक्त करा दो !
अर्जुन
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